नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में भाजपा सरकार ने एक और कैग रिपोर्ट को पेश किया। ये कैग रिपोर्ट डीटीसी से संबंधित थी। जिसमें बताया गया कि 60 हजार करोड़ की देनदारियां नवगठित सरकार के लिए चुनौती है।
जो 2015-16 में 25,300 करोड़ रुपये की देनदारी थी। आम आदमी पार्टी के कार्यकाल के दौरान दिल्ली में डीटीसी को मजबूत करने के बजाए इसे कमजोर करने का काम किया गया। कैग रिपोर्ट को देखा जाए तो यह पता चलता है कि दिल्ली में परिवहन सेवा में सबसे महत्वपूर्ण डीटीसी के लिए कोई काम नहीं किया गया। इससे न केवल डीटीसी को 14000 करोड़ का घाटा हुआ बल्कि देनदारियों में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है।
स्थिति यह हो गई कि जहां 2015-16 में 25,300 करोड़ रुपये की देनदारी थी। वहीं 2021-22 में 60,750 करोड़ रुपये हो गई। साथ ही बसों के खराब होेने पर उसके ठाेस समाधान के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। 2015-16 से 2021-22 के दौरान बसों के खराब होने से 600 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
2007 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि डीटीसी के पास 11 हजार बसों का बेड़ा होना चाहिए। पांच साल बाद दिल्ली कैबिनेट ने तय किया कि दिल्ली में 5500 बसें होंगी। कैग रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2022 के अंत में डीटीसी के पास 3937 बसों का बेड़ा था। जिसमें से 1770 यानी करीब 45 प्रतिशत बसें कबाड़ हो चुकी हैं। जबकि लो फ्लोर बसें 10 साल से अधिक पुरानी थीं, उन्हें जल्द हटाने की योजना थी।
सात साल में 41 बसें आग से जली
कैग रिपोर्ट में बताया गया कि 2015 से मार्च 2022 तक कुल 41 बसों में आग लगी। इनसे छह बसों को भीड़ ने जलाई थी, लेकिन इसकी भरपाई नहीं की गई, न ही मरम्मत की गई। पांच बसों में आग लगने के संबंध में डीटीसी के पास कोई कागजात मौजूद नहीं थे। अन्य 30 बसों में तकनीकी खराबी के कारण आग लगी थी। इसमें शार्ट सर्किट, इंजन के अधिक गर्म होने, व्हील ओवरहीट आदि का कारण रहा है। वहीं रिपोर्ट में यह पाया गया कि बसों की देखरेख और निरीक्षण में लापरवाही बरती गई। साथ ही बसों में ईंधन खपत को लेकर भी गड़बड़िया पाई गई हैं।