नई दिल्ली। डीपफेक के मुद्दे की जांच और इससे संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने गठित पैनल के लिए समय दे दिया है। होईकोर्ट देश में डीपफेक तकनीक के गैर-नियमन और इसके संभावित दुरुपयोग के खतरे के खिलाफ तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को डीपफेक के मुद्दे की जांच करने और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए गठित पैनल को तीन माह का समय दिया। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने समिति को निर्देश दिया कि वह इस मुद्दे की जांच करते समय याचिकाकर्ताओं के सुझावों पर भी विचार करे।
21 जुलाई को होगी डीपफेक मामले पर सुनवाई
पीठ ने कहा कि अगली तारीख तक हम उम्मीद करते हैं कि समिति विचार-विमर्श पूरा कर लेगी और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। मामले की सुनवाई 21 जुलाई को होगी। अदालत देश में डीपफेक तकनीक के गैर-नियमन और इसके संभावित दुरुपयोग के खतरे के खिलाफ तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
डीपफेक तकनीक वीडियो, ऑडियो रिकॉर्डिंग और छवियों के निर्माण की सुविधा प्रदान करती है जो एक व्यक्ति को दूसरे पर लगाकर उनके शब्दों और कार्यों को बदलकर, इस प्रक्रिया में गलत सूचना फैलाकर दर्शकों को हेरफेर और गुमराह कर सकती है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस मुद्दे से निपटने के लिए 20 नवंबर, 2024 को एक समिति के गठन की जानकारी दी थी।
सोमवार को मंत्रालय के वकील ने एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की और कहा कि समिति ने दो बैठकें की हैं। वकील ने कहा कि समिति को इस मुद्दे पर और विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है और एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने के लिए तीन महीने का समय मांगा। अदालत ने नवंबर 2024 में केंद्र को समिति के लिए सदस्यों को नामित करने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट ने यूपी के डीजीपी से मांगी रिपोर्ट
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिया है कि वे दिल्ली के एक निवासी को बिना स्थानीय पुलिस को सूचित किए गिरफ्तार करने के मामले में जांच रिपोर्ट दाखिल करें। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस रजनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने यूपी पुलिस के वकील को नोटिस जारी किया। 20 मार्च को कोर्ट के आदेश में कहा गया कि यूपी पुलिस के डीजीपी को रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।
यह मामला एक याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें आरोप लगाया गया कि 18 फरवरी को दिल्ली के कनॉट प्लेस से यूपी पुलिस ने एक व्यक्ति को बिना दिल्ली पुलिस को सूचित किए हिरासत में लिया और उसे अज्ञात स्थान पर ले गई। इसके बाद 19 फरवरी को यूपी की एक अदालत ने याचिकाकर्ता को रिहा कर दिया। कोर्ट ने पहले कहा था कि अंतरराज्यीय गिरफ्तारी निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन किए बिना नहीं की जा सकती और ग्रेटर नोएडा के पुलिस आयुक्त को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
खंडपीठ ने एक वीडियो क्लिप का संज्ञान लिया, जिसमें कथित तौर पर दावा किया गया कि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट के आदेशों का दुरुपयोग कर रहा था। कोर्ट ने कहा कि किसी भी पक्ष को न्यायिक आदेशों का दुरुपयोग या गलत व्याख्या नहीं करनी चाहिए।