रोहतक । प्रदेश में किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सरकार के नए आदेश जारी होते ही अधिकारियों ने सख्ती शुरू कर दी है। पिछले 24 घंटे में पराली जलाने पर 12 किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ 42 चालान किए गए हैं। इतना ही नहीं, 336 किसानों की रेड एंट्री की गई है। अब ये किसान अगले दो सीजन तक मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल के जरिए मंडियाें में अपनी फसल नहीं बेच सकेंगे।
दूसरी ओर सख्ती के बावजूद पराली जलाना बदस्तूर जारी है। जीटी रोड के साथ करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत जिलों के अलावा कैथल से लेकर सिरसा तक पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं।
रेड एंट्री में दर्ज होने वाले 17 फीसदी मामले पिछले 24 घंटे के हैं जबकि 83 फीसदी वे मामले हैं जो 15 सितंबर से 17 अक्तूबर तक के हैं। वीरवार को सरकार का आदेश जारी होने के बाद उन्हें भी इनमें शामिल कर लिया गया है। राज्य में 15 सितंबर से 19 अक्तूबर तक कार्रवाई की बात करें तो कुल 24 एफआईआर और 303 चालान कर 7,70,000 लाख रुपये जुर्माना किसानों से वसूला गया है।
हरियाणा सरकार के कृषि विभाग के निदेशक ने वीरवार को सभी जिलों के डीसी को पत्र जारी कर आदेश दिए थे कि पराली जलाने वालों पर एफआईआर दर्ज करने के साथ ही उनके खेत रेड एंट्री में दर्ज किए जाएं। कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पराली जलाने वालों के खिलाफ पहले भी कई बार सीधी एफआईआर दर्ज करवाई जाती थी। हालांकि, दो सीजन मंडियों में फसल नहीं बेच पाने का नियम राज्य में पहली बार लागू किया गया है। इसी को देखते हुए प्रशासन ने पराली जलाने वाले किसानों पर सख्ती शुरू कर दी है।
जींद में 44 मामले पराली जलाने
पराली जलाने के कैथल में 24 घंटे में छह मामले आए जबकि झज्जर के बेरी क्षेत्र में शनिवार शाम को दो किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई है। कैथल में अब तक 123 मामले सामने आ चुके हैं। यहां गांव स्तर पर जागरूकता में लापरवाही बरतने वाले कृषि विभाग के आठ कर्मियों को नोटिस जारी किया गया है। कैथल के जिला नोडल अधिकारी सतीश नारा ने कहा कि अब पराली जलाने वाले किसानों पर सीधे एफआईआर दर्ज की जाएगी।
उधर, करनाल में अब तक 10 किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई है जबकि 32 किसानों पर रेड एंट्री दर्ज की गई है। यहां पराली जलाने के 67 मामले आ चुके हैं। यमुना नगर में पराली जलाने के अब तक 24 मामले पकड़े जा चुके हैं और एक किसान पर एफआईआर हुई है। कुरुक्षेत्र में पराली जलाने के अब तक 58 केस और एक किसान पर एफआईआर हुई है। पानीपत में अब तक 27 मामले आये हैं और सात किसानों पर एफआईआर दर्ज हुई है।
फतेहाबाद में 24 घंटे में पराली जलाने का एक मामला सामने आया है। किसान पर रविवार को एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। जिले में अब तक 20 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। और किसानों पर जुर्माना लगाया गया है। डीसी मनदीप कौर के मुताबिक 15 सितंबर से 18 अक्तूबर तक पराली जलाने के आए मामलों मे सिर्फ जुर्माना लगाया जाएगा। वही अब जो मामले आएंगे उनमें एफआईआर दर्ज की जाएगी। 15 सितंबर के बाद से हिसार में 14 और सिरसा में पांच मामलों में किसानों पर जुर्माना लगाया गया है। उधर, सोनीपत में अब तक आठ, जींद में 44 मामले पराली जलाने के आ चुके हैं।
24 घंटे में 26 मामले, तीन साल का रिकॉर्ड टूटा
राज्य में पराली जलाने के 24 घंटे के अंदर 26 नए मामले आए है। इसके साथ अब तक पराली जलाने के कुल 642 मामले आ चुके हैं। यह राज्य में पराली जलाने के पिछले तीन साल के आंकड़ों से ज्यादा है। 15 सितंबर से 18 अक्तूबर 2024 तक साल 2022 में कुल 464 मामले, 2023 में 554 मामले और 2024 में 627 मामले आ चुके हैं।
अब तक पराली जलाने के मामले
अंबाला- 73
फरीदाबाद- 30
फतेहाबाद- 36
हिसार- 18
झज्जर- 1
जींद- 49
कैथल- 123
करनाल- 69
कुरुक्षेत्र- 90
पलवल- 26
पंचकूला- 14
पानीपत- 27
रोहतक- 6
सिरसा- 16
सोनीपत- 40
यमुनानगर- 24
सुप्रीम कोर्ट में जवाब की तैयारी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य में पराली प्रबंधन को लेकर सरकार को पहले फटकार लग चुकी है। 23 अक्तूबर की सुनवाई में फिर से मुख्य सचिव को तलब किया गया है। सूत्रों की मानें तो नए नियमों को लागू कर सरकार सीधी और सख्त कार्रवाई करने का अपना पक्ष कोर्ट में रखेगी। इसके अलावा 15 सितंबर से 22 अक्तूबर तक होने वाली एफआईआर, चालान व जुर्माना वसूली का रिकॉर्ड भी सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश किया जाएगा।
प्रतिक्रिया
राज्य में पराली जलाने वाले किसानों की जमीन पर मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रेड एंट्री और सीधी एफआईआर करने का नियम सख्ती से लागू किया गया है। इसके तहत कार्रवाई भी जारी रहेगी। -बाबू लाल, डिप्टी डायरेक्टर, कैथल कृषि विभाग।
किसान विरोधी फैसला वापस लें, पराली की एमएसपी तय करें सरकार-हुड्डा
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि हरियाणा में पराली जलाने पर किसानों के खेतों पर रेड एंट्री करने और एफआईआर दर्ज करने का फैसला गलत है। सरकार अपनी किसान विरोध फैसला वापस लें, क्योंकि किसान मजबूरी में इस तरह का कदम उठाते हैं। सरकार तत्काल प्रभाव से पराली की एमएसपी तय करके खरीदें। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार को किसानों पर जुर्माना लगाने, एफआईआर करने और उनकी रेड एंट्री करने के जगह उनके समस्याओं के समाधान पर काम करना चाहिए। सरकार को पराली की खरीद करके इसका इस्तेमाल से ईंधन, बायो-थर्मोकोल, इथेनॉल, बायो-बिटुमन, पैलेट, लुगदी, खाद, ईंट , बिजली आदि बनाने में करना चाहिए।
किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने हुड्डा से मुलाकात कर एक ज्ञापन भी दिया। इस मौके पर हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार अपने वादे के मुताबिक किसानों की धान को 3100 प्रति क्विंटल के रेट पर खरीदे। मंडियों में किसानों को फसल बेचने में समस्या आ रही है। हुड्डा ने कहा कि प्रदूषण में पराली से ज्यादा कारखाने की गाड़ियां और धूल होती है। पराली के निस्तारण के लिए सरकार जो मशीन देने की बात कर रही हैं, वह कारगर साबित नहीं हो रही है।
मशीनों की संख्या भी बहुत कम है। खासकर छोटे किसान इन मशीनों का इस्तेमाल करने में अक्षम है। पहले धान के अवशेष को काटने फिर उसके बाद उसे इकट्ठा करने और उसके बाद गांठ बनने के लिए अलग-अलग मशीनों का उपयोग होता है। उसके बाद उठान में भी लंबा समय लग जाता है। तब तक आगामी फसल की बुवाई का समय निकल जाता है। सरकार को इन व्यावहारिक पहलुओं पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि किसान की असली समस्या को समझा जा सके।