हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत से उत्साहित संघ अब महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही करिश्मा करने की कवायद कर रहा है। दोनों ही राज्यों में संघ ने हरियाणा चुनाव की तरह नुक्कड़ सभाओं, छोटे समूह की बैठकों और बेहतर बूथ प्रबंधन के साथ रूठों को मनाने का अभियान चला कर भाजपा के लिए जमीनी स्तर पर माहौल बनाने का प्रयास कर रहा है।
संघ का पूरा जोर हरियाणा की तर्ज पर किसी भी कीमत पर मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए भाजपा समर्थक मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचाने की है। संघ सूत्रों के मुताबिक दोनों ही राज्यों में मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए कुछ मुद्दे तय किए गए हैं। मसलन महाराष्ट्र में सारा जोर हिंदू एकजुटता को ले कर है तो झारखंड के कई आदिवासी क्षेत्रों की जनसांख्किी में आया बदलाव। इसके लिए संघ ने दोनों ही राज्यों में चार से छह लोगों का समूह बनाया है, जो संबंधित क्षेत्रों में नुक्कड़ सभाओं, छोटे समूह की बैठकों और ड्राइंग रूम बैठकों के जरिए लोगों से सीधा संवाद कर सके। संघ ने उन बूथों की भी पहचान की है, जहां भाजपा को बीते विधानसभा और लोकसभा चुनाव के मुकाबले उम्मीदों के अनुरूप मत नहीं मिले।
विधानसभा में ज्यादा मिले वोट
संघ के वरिष्ठ नेता के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में भाजपा को समर्थक मतदाताओं-कार्यकर्ताओं की उदासीनता का खामियाजा भुगतना पड़ा। इसलिए हमने हर हाल में मत प्रतिशत बढ़ाने पर जोर दिया। उन क्षेत्रों की पहचान की गई है जहां भाजपा के मतदाता कम संख्या में बाहर निकले। इसके लिए 16 हजार नुक्कड़ सभाओं और सवा लाख छोटे समूहों की बैठक का सहारा लिया गया।
n परिणाम यह हुआ कि विधानसभा में लोकसभा के मुकाबले तीन फीसदी मतदान में बढ़ोतरी हुई और बीते विधानसभा चुनाव के मुकाबले भाजपा को तीन फीसदी अधिक मत मिले और कांग्रेस और भाजपा के बीच के इसी अंतर ने बाजी पलट दी।
महाराष्ट्र-हरियाणा में एक जैसी स्थिति
लोकसभा चुनाव की दृष्टि से महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा की स्थिति एक जैसी है। हरियाणा में भाजपा को कांग्रेस के मुकाबले करीब एक फीसदी तो महाराष्ट्र में एमवीए की तुलना में महज .16 फीसदी कम वोट मिले। संघ की चिंता पश्चिम महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र है जहां भाजपा को व्यापक नुकसान हुआ। संघ सूत्रों ने बताया कि पूरे महाराष्ट्र में 40 हजार नुक्कड़ सभाओं, 1.5 लाख छोटे समूह की बैठक का लक्ष्य तय किया गया है। इसकी शुरुआत हो चुकी है। संघ चाहता है कि इसके सहारे भाजपा समर्थक मतदाताओं को बूथ तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया जाए।
झारखंड में आदिवासी बहुल इलाकों पर नजर
झारखंड में संघ की16 हजार नुक्कड़ सभाएं और 80 हजार छोटे समूह की बैठक का लक्ष्य है। इनमें से ज्यादातर बैठकें आदिवासी बहुल इलाकों में होगी। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में इसी वर्ग की नाराजगी के कारण भाजपा सभी पांच सुरक्षित सीटों पर हार गई थी।
संघ का कहना है कि लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन के मुकाबले भाजपा को आठ फीसदी अधिक वोट मिले, मगर आदिवासी इलाकों में यह बढ़त हासिल नहीं हुई। चूंकि राज्य के कई आदिवासी इलाकों में जनसांख्यिकीय बदलाव हुआ है। ऐसे में ऐसे क्षेत्रों में अधिक कार्यक्रम करने की योजना बनी है।