नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत मिलने के बाद सिर्फ आरोपपत्र दाखिल होने पर आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने पटना हाईकोर्ट की ऐसी शर्त के आदेश को रद्द किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है
कि किसी मामले में आरोपी को अग्रिम जमानत देते समय हाईकोर्ट यह निर्देश नहीं दे सकता कि आरोपपत्र दाखिल होने पर उसे गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर यह फैसला सुनाया। साथ ही हाईकोर्ट की ओर से 31 अगस्त, 2024 को आरोपी रितेश कुमार को अग्रिम जमानत देते समय लगाई गई ऐसी शर्त खारिज कर दी।
हाईकोर्ट ने कहा था कि यदि याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध से जुड़े आरोपपत्र दाखिल किए जाते हैं तो उस स्थिति में वर्तमान अग्रिम जमानत आदेश अपना प्रभाव खो देगा और ट्रायल कोर्ट यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कठोर कदम उठाएगा कि याचिकाकर्ता सलाखों के पीछे हो। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि आरोपपत्र दाखिल करने पर याचिकाकर्ता को हिरासत में लेने की ऐसी शर्त उचित नहीं है।
पीठ ने महसूस किया कि याचिकाकर्ता के वकील का यह कहना सही है कि ऐसा कोई विशिष्ट निर्देश नहीं हो सकता था कि आरोपपत्र प्रस्तुत करने के बाद न्यायालय को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी बलपूर्वक कदम उठाने चाहिए कि याचिकाकर्ता सलाखों के पीछे हो। पीठ ने कहा, हमारा दृढ़ मत है कि जब भी कोई न्यायालय अग्रिम जमानत या जमानत के लिए आवेदन पर विचार करता है तो यह एक समग्र आदेश होता है और एक भाग को दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है।