नई दिल्ली। इसे ऐसी तकनीक से तैयार किया गया है, जो 230 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा यानी पांचवीं कैटेगरी के तूफान को भी सहन करने में सक्षम है।स्वदेशी तकनीक से तैयार रेलवे का चिनाब ब्रिज हर तरीके से पूरी तरह सुरक्षित बनाया गया है।
फ्लोरिडा में आए इयान तूफान के दौरान तेज वेग से चलने वाली जैसी हवा भी इस ब्रिज को नुकसान नहीं पहुंचा सकेगी। कटरीना जैसे तूफान में यह ब्रिज हिलेगा भी नहीं। इसे ऐसी तकनीक से तैयार किया गया है, जो 230 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा यानी पांचवीं कैटेगरी के तूफान को भी सहन करने में सक्षम है।
विश्व का सबसे ऊंचा ब्रिज सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है लिहाजा इसकी निगरानी के लिए 120 सेंसर लगा है। जिसकी नजर सातों दिन चौबीस घंटे इस ब्रिज पर रहेगी। यह सेंसर हवा के वेग, तापमान, आर्द्रता, कंपन की सूचनाओं का वास्तविक डाटा हर समय रिकार्ड करेगी।
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने व सीमा क्षेत्र के निकट होने के कारण सुरक्षा पहलुओं को अत्यधिक महत्व दिया गया है। यह ब्रिज आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक बनेगा। दुनिया के सबसे ऊंचे रेल ब्रिज पर 100 से अधिक सेंसर, 780 मीटर लंबा ब्लास्ट प्रोटेक्शन प्लेटफॉर्म और 150 सर्वर वाला कंट्रोल रूम समेत कई अत्याधुनिक उपकरण से लैस किया गया है ताकि ट्रेन के संचालन और ब्रिज के सुरक्षा में किसी तरह का सेंध नहीं लग सके।
ब्लास्ट प्रोटेक्शन ट्रेन संचालन के दौरान होने वाले प्रभाव को अवशोषित करेगा। रेलवे के इंजीनियरों ने 1,315 मीटर लंबा चिनाब ब्रिज स्टील और कंक्रीट से बना है। जो 260 किमी प्रति घंटे की हवा की गति को झेलने में सक्षम है।
30,350 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल
रेलवे मंत्रालय के अनुसार आपातकालीन स्थिति में स्टेशन मास्टर के रूम में रेड सिग्नल और अलार्म ध्वनि उत्पन्न करने के लिए सेंसर से लैस किया गया है। जम्मू के रियासी जिले में बक्कल और कौरी के बीच स्थित यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना के कटरा-बनिहाल खंड में स्थित है।
हवा की गति के अलावा, नियंत्रण कक्ष में विशेषज्ञ टीम तैनात रहेगी। चिनाब नदी पर विशाल संरचना के लिए लगभग 12 लाख क्यूबिक मीटर मिट्टी की खुदाई की गई। ब्रिज के निर्माण में लगभग 30,350 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है। मेहराब के निर्माण में 10,620 मीट्रिक टन स्टील की खपत हुई है, जबकि पुल के डेक के निर्माण में 14,504 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है।