नई दिल्ली। अदालत ने सवाल किया कि आरोपी शरजील इमाम ने समाज के सामान्य कामकाज को बाधित करने के लिए केवल मुस्लिम धर्म के सदस्यों को ही क्यों उकसाया? अदालत ने कहा कि इमाम का भाषण क्रोध और घृणा भड़काने के लिए था।
साकेत कोर्ट ने जामिया नगर इलाके में 2019 के सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान कथित हिंसा से संबंधित एक मामले में शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और नौ अन्य के खिलाफ आरोप तय किए हैं। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह ने कहा कि शरजील इमाम न केवल भड़काने वाला था, बल्कि हिंसा भड़काने की बड़ी साजिश का सरगना भी था।
अदालत ने कहा कि एक वरिष्ठ पीएचडी छात्र होने के नाते शरजील इमाम ने अपने भाषण में मुस्लिम समुदाय के अलावा अन्य समुदायों का उल्लेख करने से परहेज किया, जबकि चक्का जाम के इच्छित पीड़ित मुस्लिम समुदाय के अलावा अन्य समुदायों के सदस्य थे। अदालत ने सवाल किया कि आरोपी शरजील इमाम ने समाज के सामान्य कामकाज को बाधित करने के लिए केवल मुस्लिम धर्म के सदस्यों को ही क्यों उकसाया? अदालत ने कहा कि इमाम का भाषण क्रोध और घृणा भड़काने के लिए था, जिसका स्वाभाविक परिणाम सार्वजनिक सड़कों पर गैरकानूनी रूप से एकत्रित हुए लोगों की ओर से व्यापक हिंसा को अंजाम देना था। न्यायाधीश ने कहा कि शरजील का भाषण जहरीला था और एक धर्म को दूसरे धर्म के खिलाफ खड़ा करने वाला था।
इन आरोपियों के खिलाफ भी तय किए आरोप
न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी (एनएफसी) पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकारी वाहनों और निजी वाहनों सहित लगभग 41 वाहनों को गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होकर क्षतिग्रस्त कर दिया गया और पुलिस अधिकारियों पर पथराव किया गया था। कोर्ट ने इमाम और तन्हा के अलावा आशु खान, चंदन कुमार, अनल हुसैन, अनवर, यूनुस, जुम्मन, राणा, मोहम्मद हारून और मो.फुरकान पर भी आरोप तय किए हैं। हालांकि, अदालत ने आरोपी मोहम्मद आदिल, रूहुल अमीन, मो. जमाल, मो. उमर, मो. शाहिल, मुद्दुस्सिर फहीम हासमी, मो. इमरान अहमद, साकिब खान, तंजील अहमद चौधरी, मो. इमरान, मुनीब मियां, सैफ सिद्दीकी, शाहनवाज व मो. यूसुफ को बरी कर दिया।
सांसद राशिद इंजीनियर की हिरासत पैरोल की मांग वाली याचिका खारिज
उधर, पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के सांसद राशिद इंजीनियर की संसद सत्र में भाग लेने के लिए हिरासत पैरोल की याचिका खारिज कर दी। उन्होंने अपनी याचिका में 10 मार्च से 4 अप्रैल तक सत्र में भाग लेने की अनुमति मांगी थी। इंजीनियर की ओर से पेश वकील विख्यात ओबेरॉय और निशिता गुप्ता ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को कोई खतरा नहीं है और उन्हें पहले भी कस्टडी पैरोल दी जा चुकी है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंद्रजीत सिंह ने याचिका खारिज कर दी।
वकील ने कहा कि उन्हें पहले भी कस्टडी पैरोल दी गई थी और इसे तीन बार बढ़ाया गया था। उन्हें कश्मीर जाने और चुनाव प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। सुरक्षा व्यवस्था के मुद्दे पर वकील ने कहा कि जेल सुरक्षाकर्मी उन्हें संसद तक ले जाएंगे और वहां छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि सादे कपड़ों में सुरक्षाकर्मी अंदर जा सकते हैं। वकील ने तर्क दिया कि अगर वह वहां जाते हैं तो कोई बाधा नहीं होगी। वह हिरासत पैरोल पर संसद में भाग ले सकते हैं। वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल नई दिल्ली के कैसे खतरा बन सकता है, जबकि वह कश्मीर के लिए खतरा नहीं थे। उन्होंने तर्क दिया कि पिछले सत्र में उन्हें 11 और 13 फरवरी को दो दिनों के लिए हिरासत पैरोल दी गई थी।
एनआईए ने याचिका का किया विरोध:राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि हिरासत में रहते हुए इंजीनियर को संसद में उपस्थित होने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। एनआईए ने पहले पैरोल के दौरान फोन सुविधाओं के दुरुपयोग के उदाहरणों को भी उजागर किया। उन्होंने कहा कि सुरेश कलमाड़ी मामले में कानून तय है और जब तक वे हिरासत में हैं, उन्हें संसद में जाने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है।