नई दिल्ली। अध्ययन से जुड़ी प्रमुख शोधकर्ता ट्रेसी जे वुड्रफ का कहना है कि ये माइक्रोप्लास्टिक वायु प्रदूषण का ही एक रूप हैं और हम जानते हैं कि इस प्रकार का प्रदूषण न सिर्फ हानिकारक बल्कि जानलेवा है।
हवा में मौजूद प्लास्टिक के महीन कण यानी माइक्रोप्लास्टिक, स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने इन पर किए एक नए अध्ययन में खुलासा किया है कि हवा में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक्स कोलन (बड़ी आंत) और फेफड़ों के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की वजह बन सकते हैं। गाड़ियों के टायर और ब्रेक घिसने से निकले कण इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन फ्रांसिस्को और नेचुरल रिसोर्सेज डिफेन्स कॉउन्सिल सिडनी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए करीब 3,000 शोधों की समीक्षा से पता चला है कि ये महीन कण गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े हैं। इनमें महिलाओं और पुरुषों में बांझपन, कोलन कैंसर और फेफड़ों की क्षमता में गिरावट जैसी समस्याएं शामिल है। लम्बे समय तक इन कणों का संपर्क फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकता है, जिससे फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ता है। इस अध्ययन के नतीजे जर्नल एनवायर्नमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं।
जानलेवा है यह प्रदूषण
अध्ययन से जुड़ी प्रमुख शोधकर्ता ट्रेसी जे वुड्रफ का कहना है कि ये माइक्रोप्लास्टिक वायु प्रदूषण का ही एक रूप हैं और हम जानते हैं कि इस प्रकार का प्रदूषण न सिर्फ हानिकारक बल्कि जानलेवा है। हवा में मौजूद इस प्लास्टिक का एक प्रमुख स्रोत वाहन हैं। इनके चलने से टायरों और ब्रेक घिस जाते हैं जिनसे निकले प्लास्टिक के टुकड़े हवा में फैल जाते हैं और सांसों के जरिए शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। इस समीक्षा में शामिल ज्यादातर अध्ययन जानवरों पर आधारित हैं। हालांकि ये नतीजे इंसानों पर भी लागू होते हैं, क्योंकि वे भी समान जोखिम का सामना कर रहे हैं।
दुनिया के बड़े शहरों में सबसे अधिक खतरा
हवा में मौजूद प्लास्टिक का एक बड़ा स्रोत गाड़ियां हैं, जिनके चलने से टायरों और सड़क के बीच घर्षण से प्लास्टिक के करोड़ों महीन कण पैदा होते हैं। वैश्विक रूप से टायरों से हर साल करीब 2,907 किलोटन माइक्रोप्लास्टिक्स का उत्सर्जन हो रहा है जबकि ब्रेक से करीब 175 किलोटन का उत्सर्जन होता है। इन माइक्रोप्लास्टिक्स का ज्यादातर हिस्सा पूर्वी अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी चीन, भारत, मध्य पूर्व और दक्षिण अमेरिका के बड़े शहरों से उत्सर्जित हो रहा है, जहां भारी संख्या में वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं।