नई दिल्ली। दिल्ली फाइब्रोसिस लिवर की वह स्थिति है जिसमें लिवर के ऊतकों में निशान बन जाते हैं। यह सामान्य रूप से पुरानी सूजन या संक्रमण (जैसे हेपेटाइटिस) के कारण होता है। देश में बढ़ते मोटापे की समस्या के साथ लिवर से जुड़ी परेशानी बढ़ रही है।
इन समस्याओं को जल्द पकड़ने के लिए सफदरजंग अस्पताल में नई फाइब्रो स्कैन मशीन आई है। इस मशीन की मदद से फाइब्रोसिस और स्टेटोसिस की जांच आसान होगी। ये दोनों ही लिवर से संबंधित समस्याएं हैं। फाइब्रोसिस लिवर की वह स्थिति है जिसमें लिवर के ऊतकों में निशान बन जाते हैं। यह सामान्य रूप से पुरानी सूजन या संक्रमण (जैसे हेपेटाइटिस) के कारण होता है। इससे लिवर की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। अगर यह स्थिति बढ़ जाती है, तो यह लिवर सिरोसिस में बदल सकती है, जो एक गंभीर अवस्था है।
वहीं स्टेटोसिस में लिवर में अधिक मात्रा में वसा जमा हो जाती है। यह वसा जमा होने की स्थिति लिवर की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती है, लेकिन शुरुआती अवस्था में यह अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखाती। यह अधिकतर मोटापे, डायबिटीज, या शराब के अत्यधिक सेवन के कारण होता है। अस्पताल में हर साल इन रोग के हजारों मरीज इलाज करवाने आते हैं।
इन रोग का इलाज आसान बनाने के लिए इंडिया फाउंडेशन ने सीएसआर पहल के तहत अस्पताल को फाइब्रोस्कैन मशीन प्रदान की। इस दौरान इंडिया फाउंडेशन के कार्यक्रम निदेशक डॉ. उल्हास वासवे और सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संदीप बंसल उपस्थित रहे। फाइब्रोस्कैन, लीवर फाइब्रोसिस और स्टेटोसिस का आकलन करने के लिए उपयोग की जाने वाली एक गैर-इनवेसिव तकनीक है, जो इनवेसिव बायोप्सी की आवश्यकता के बिना लीवर की स्थितियों का निदान और निगरानी करने की अस्पताल की क्षमता में काफी सुधार करेगी।
इसकी मदद से अस्पताल में इलाज कराने वाले हजारों रोगियों को लाभ मिलने की उम्मीद है। इस मौके पर डॉ. संदीप बंसल ने कहा कि यह तकनीक लिवर रोग निदान के लिए हमारे दृष्टिकोण को बदल देगी। हमारी चिकित्सा टीमों को रोगियों को अधिक सटीक, समय पर और गैर-आक्रामक देखभाल प्रदान करने में सक्षम बनाएगी।