नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा चुनावों में 19 प्रतिशत उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जबकि गंभीर आपराधिक मामलों में (हत्या, हमला, अपहरण, दुष्कर्म, महिलाओं एवं बच्चों के ऊपर अत्याचार) संलिप्त उम्मीदवारों की संख्या 12 प्रतिशत है। प्रमुख राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों से लेकर निर्दलीय उम्मीदवारों तक, आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं की मौजूदगी ने चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यदि दलगत स्थिति को देखा जाए तो 19 प्रतिशत आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों में 33 प्रतिशत राष्ट्रीय पार्टी के, 13 प्रतिशत राज्य पार्टी के, आठ प्रतिशत पंजीकृत अन्य पार्टी के और 10 प्रतिशत निर्दलीय उम्मीदवार हैं। गंभीर आपराधिक मामलों की बात करें तो इसमें 18 प्रतिशत राष्ट्रीय पार्टी के, 10 प्रतिशत राज्य पार्टी के, 6 प्रतिशत पंजीकृत अन्य पार्टी के और 8 प्रतिशत निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं।
विशेष रूप से आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जैसे प्रमुख दलों ने भी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया है। आप के 63 प्रतिशत, कांग्रेस के 41 प्रतिशत और भाजपा के 29 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। वहीं गंभीर आपराधिक मामलों की श्रेणी में आप के 41 प्रतिशत, कांग्रेस के 19 प्रतिशत और भाजपा के 13 प्रतिशत उम्मीदवार आते हैं।
पार्टियों के अनुसार उम्मीदवारों की स्थिति
यदि कुल उम्मीदवारों की संख्या के आधार पर तुलना की जाए तो राष्ट्रीय पार्टी से 278 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 21 प्रतशित आपराधिक मामलों में संलिप्त हैं, जबकि 18 प्रतिशत पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। राज्य पार्टियों के कुल के 13 प्रतिशत आपराधिक छवि वाले हैं, जिनमें 10 प्रतिशत पर गंभीर मामले हैं। पंजीकृत अन्य पार्टियों के आठ प्रतिशत पर आपराधिक मुकदमे हैं, जबकि छह प्रतिशत पर गंभीर मुकदमे हैं। निर्दलीय उम्मीदवारों में 10 प्रतिशत आपराधिक पृष्ठभूमि वाले और आठ प्रतिशत गंभीर मामलों में आरोपी हैं।
2020 चुनाव की तुलना में संख्या घटी
पिछले विधानसभा चुनाव (2020) की तुलना में इस बार आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की संख्या में हल्की गिरावट देखी गई है। 2020 में 20 प्रतिशत (133) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए थे, जबकि 15 प्रतिशत (104) पर गंभीर आरोप थे। इस बार यह आंकड़ा घटकर 19 प्रतिशत (132) और 12 प्रतिशत (81) रह गया है। हालांकि चुनावी प्रक्रिया में अपराधियों की बढ़ती संख्या अब भी चिंता का विषय बनी हुई है।
चुनावी सुधारों की आवश्यकता
चुनावों में आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग लगातार पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में प्रयासरत हैं, लेकिन राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट देना यह दर्शाता है कि सत्ता प्राप्ति की होड़ में नैतिकता से समझौता किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक दलों को स्वेच्छा से ऐसे उम्मीदवारों को टिकट देने से बचना चाहिए।
दल, कुल उम्मीदवार, आपराधिक मामले वाले उम्मीदवार, गंभीर आपराधिक मामले वाले उम्मीदवार
राष्ट्रीय पार्टी, 278, 94, 51, 21
राज्य पार्टी, 29, 4, 3, 0
पंजीकृत अज्ञात पार्टी, 254, 21, 16, 0
निर्दलीय, 138, 14, 11, 2
कुल, 699, 132, 81, 23
दल, आपराधिक मामले वाले उम्मीदवार, गंभीर आपराधिक मामले उम्मीदवार
आप, 44, 29
कांग्रेस, 29, 13
भाजपा, 20, 9