वैवाहिक मामलों में पति के रिश्तेदारों को फंसाने की प्रवृति बढ़ी: हाईकोर्ट
- Rohit Mehra
- राजधानी

नई दिल्ली। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के तहत पत्नी के प्रति क्रूरता के अपराध के लिए वैवाहिक मामलों में आरोपी के रूप में नाबालिगों सहित पति के सभी रिश्तेदारों को फंसाने की महिलाओं में प्रवृत्ति बढ़ रही है। अदालत ने यह टिप्पणी दहेज प्रताड़ना के मामले में एक उपनिरीक्षक को राहत प्रदान करते हुए की। भाभी द्वारा दर्ज मामले के आधार पर उसकी नियुक्ति को लंबित रखा गया था।
अदालत ने संबंधित अधिकारियों को याचिकाकर्ता को नियुक्त करने का आदेश दिया है।जस्टिस वी कामेश्वर राव और अनूप कुमार मेंदिरत्ता की खंडपीठ ने कहा कि ऐसी कई शिकायतें अंततः पार्टियों द्वारा अदालत के बाहर सुलझाई जाती हैं।
अदालत ने एक ऐसे व्यक्ति को राहत दी, जिसकी दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के रूप में नियुक्ति को स्थगित रखा गया था, क्योंकि उसका नाम धारा 498ए के तहत अपराध के लिए दायर की गई पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में दर्ज किया गया था।
पीठ ने कहा विवाह संबंधी विवादों के संदर्भ में प्राथमिकी दर्ज होने की स्थिति में महिलाओं में नाबालिगों सहित सभी रिश्तेदारों को शामिल करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। ऐसी कई शिकायतें अंततः या तो परिवारों, पति-पत्नी के बीच सुलझा ली जाती हैं और बाद में कहा जाता है कि मामला गर्मी में दायर किया गया था। अदालत ने कहा उपरोक्त प्रावधान का दुरुपयोग काफी हद तक देखा गया है, हालांकि अधिनियमन के हितकारी उद्देश्य को किसी भी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।